Indrani Mukherjee: केस: CBI की याचिका खारिज, Netflix डॉक्यूमेंट्री जारी
Indrani Mukherjee कहानी: गहरा सच नामक नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री, शीना बोरा हत्या केस पर, बुधवार को बम्बई हाईकोर्ट की CBI की स्ट्रीमिंग के खिलाफ याचिका को खारिज करने के बाद जारी की गई। इंद्राणी मुखर्जी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज, जो अपनी बेटी शीना बोरा के भयानक हत्या के लिए ट्रायल में हैं, बम्बई हाईकोर्ट ने गुरुवार को CBI की स्ट्रीमिंग के खिलाफ याचिका को खारिज करने के बाद नेटफ्लिक्स के OTT प्लेटफ़ॉर्म पर जारी की गई।
इंद्राणी मुखर्जी की कहानी: गहरा सच डॉक्यूमेंट्री, 25 वर्षीय बोरा के गायब होने की कहानी सुनाती है और यह पहले से ही नेटफ्लिक्स पर 23 फ़रवरी को प्रीमियर होने की योजना बनाई गई थी। CBI ने अदालत को बताया कि डॉक्यूमेंट्री न्यायिक प्रक्रिया पर प्रभाव डाल सकती है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने डॉक्यूमेंट्री के निर्माताओं से इसके प्रकाशन को रोकने की योजना बनाई।
शीना बोरा की हत्या केस का खुलासा
अप्रैल 2012 में, इंद्राणी मुखर्जी, उसके ड्राइवर श्यामवर राय और पूर्व पति संजीव खन्ना द्वारा शीना बोरा को गाड़ी में दबा कर हत्या की गई थी। बोरा मुखर्जी की पूर्व संबंध से एक बेटी थी। उसका शव महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के जंगल में जलाया गया था। इस हत्या का खुलासा 2015 में हुआ था जब राय ने अपनी गिरफ्तारी के बाद इसे खुलासा किया। मुखर्जी को अगस्त 2015 में गिरफ्तार किया गया और मई 2022 में जमानत मिली।
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न्यायिक प्रक्रिया पर प्रभाव
CBI ने दावा किया कि डॉक्यूमेंट्री जनसाधारण में एक धारणा पैदा कर सकती है जो फिर न्यायिक मन को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, अदालत ने कहा कि उसने सीरीज देखी थी और वास्तव में, उसे लगा कि CBI सीरीज के खिलाफ अपनी मांग पर जोर नहीं डालेगी। साथ ही इस हत्या केस को लेकर अभियोगियों में अन्य हैं श्यामवर राय, खन्ना और इंद्राणी के पूर्व पति पीटर मुखर्जी, जो अब जमानत पर हैं।
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नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री की महत्वपूर्णता
इस डॉक्यूमेंट्री ने शीना बोरा के केस को फिर से सामने लाया है और जनता को इस गंभीर मुद्दे के प्रति जागरूक किया है। यह उस अवसर को भी दर्शाता है जब न्यायिक प्रक्रिया को भारतीय मीडिया की दखल देने की जरूरत होती है। यह डॉक्यूमेंट्री ने उस विवादित मामले को नई दृष्टि से देखने का माध्यम प्रदान किया है और लोगों को इस केस की महत्वपूर्णता को समझने के लिए प्रेरित किया है।
परिणाम
बम्बई हाईकोर्ट की यह निर्णय सीबीआई के प्रति बड़ा प्रतिबद्धता दिखाता है कि डॉक्यूमेंट्री को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि जनसाधारण भ्रमित न हों।