Indian Economy: निजी क्षेत्र की उद्यमिता से आगे की दिशा में गति
Indian Economy की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीन वर्षों के दौरान वृद्धि की दर वैश्विक औसत से अधिक रही है। 2023-24 की तीसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 8.4% रही, जिसे इसके बाद की चौथी तिमाही में 8.6% की वृद्धि का सामना किया गया है। 2013-14 में पहली छमाही में 7.3% की वृद्धि दर दर्ज की गई, जिसे इसके बाद 2014 की तीसरी तिमाही में 7.7% की वृद्धि दर, चौथी तिमाही में 6.5% और पांचवीं तिमाही में 6% की वृद्धि दर की जा रही है।
Indian Economy की विकास दर को निजी क्षेत्र के निवेश और सेवाओं में बढ़ोत्तरी से प्रेरित किया गया है। सरकारी क्षेत्र की विकास दर भी निजी क्षेत्र से अधिक है, जिसे 2014 की तीसरी तिमाही में 7%, चौथी तिमाही में 6.5% और 6% की वृद्धि दर की गई है। पांचवीं तिमाही में।
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बाहरी उधार के संदर्भ में, भारत सरकार ने निजी क्षेत्र से अपनी उधार लेने की क्षमता को रु. तक बढ़ाया है। 2022 में 58.4 बिलियन रुपये की तुलना में। 2014 में 58.8 बिलियन। यह पिछले वर्ष की तुलना में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है, जब निजी क्षेत्र की उधार लेने की क्षमता रुपये थी। 61.25 बिलियन।
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Indian Economy की विकास दर को निजी क्षेत्र के निवेश और सेवाओं में बढ़ोत्तरी से प्रेरित किया गया है। सरकारी क्षेत्र की विकास दर भी बढ़ी है, 2014 की पहली छमाही में सरकारी क्षेत्र की विकास दर 7.3%, तीसरी तिमाही में 6.5% और चौथी तिमाही में 6% रही है।
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Indian Economy की विकास दर को निजी क्षेत्र के निवेश और सेवा क्षेत्र में बढ़ोत्तरी से प्रेरित किया गया है। सरकारी क्षेत्र की विकास दर भी बढ़ी है, 2014 की पहली छमाही में सरकारी क्षेत्र की विकास दर 7.3% से बढ़कर 2022 की तीसरी तिमाही में 7.6% हो गई है।
सारांश में, भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को निजी क्षेत्र की उद्यमिता, निजी क्षेत्र की वृद्धि, और सार्वजनिक क्षेत्र की वृद्धि से प्रेरित किया गया है। विकास दर की विभिन्न कारकों से प्रेरित है, जिसमें निजी क्षेत्र की वृद्धि, निजी क्षेत्र की वृद्धि, और सार्वजनिक क्षेत्र की वृद्धि शामिल है।
निष्कर्ष:
भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर निजी क्षेत्र की वृद्धि, निजी क्षेत्र की वृद्धि और सार्वजनिक क्षेत्र की वृद्धि से प्रेरित हुई है। देश की विकास दर विभिन्न कारकों से प्रेरित है, जिसमें निजी क्षेत्र की वृद्धि, निजी क्षेत्र की वृद्धि और सार्वजनिक क्षेत्र की वृद्धि शामिल है।
भारत की अर्थव्यवस्था में तीन वर्षों की वृद्धि: निजी क्षेत्र की उद्यमिता का महत्वपूर्ण योगदान